एक लडकी...
हम्म...
बोलू! अच्छा रहने दो,नहीं बोलता!
रुको रुको.. बोलता हूँ।कितने समय तक खुद को रोक पाऊंगा?इससे अच्छा हैं आज ही कहता हूँ।ह..हम्म... सुनो! मुझे एक लडकी से प्यार हुआ हैं।प्यार तो तीन साल पहले हीं हो गया था। पर उस लडकी को बोलने कि हिम्मत नहीं हैं।पता हैं वो लडकी मुझे तुम्हारे तरह भोंदू! बोलती हैं।कभी कभी मुझे गुस्सा आता हैं। पर ठीक हैं। भोंदू बोल कर जब वो मेरे गालों पर kiss करती हैं तो अच्छा लगता हैं। सुनो ना..! पता हैं वो बहोत खुबसुरत हैं। बिलकुल तुम्हारी तरह।जब उसके हसी कि खिलखिलाहट मेरे कानो पर पडती हैं। सच कहता हूँ जी करता हैं उस लम्हे को रोक लुं।जब कभी चलते चलते मेरे हांथो को वो छू लेती हैं तो साँस थम सी जाती हैं।
उसका जवाब क्या होगा पता नहीं! लेकिन अगर वो भी मुझसे प्यार करती हैं। तो मैं उसके हर एक ख्वाब को यकीन में बदल लुंगा। मुझे पता हैं,उसे उडना पसंद हैं।अगर वो कहे तो मैं अपने पीठ पर उसे बिठाकर खुदको दो हिस्सो में बाटकर पंख बन उसे आसमान के ऊचाई तक ले जाऊंगा।मुझे उस लडकी से कुछ नहीं चाहीये बस जिंदगी का रास्ता जब तक हमारी बातों से थक ना जाये तब तक उसका साथ।
क्या हुआ?? उस लडकी को देखना हैं।तुमने अपने आप को कभी शिशे में देखो तो तुम्हे वो लडकी दिख जायेगी।चलो अब बता दो,क्या दोगी मेरा साथ! मैं इंतजार करुंगा तुम्हारा और तुम्हारे जवाब का।।
-बुद्धभूषण जाधव
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