आज फिर दिलने इक तमन्ना की...

बस्स, बहोत हो गया! अब मैं तुम्हे भूल जाऊंगा। कितने दिन याद में रहू। ये सोच हि रहा था,कि डायरी पे नजर पडी। हा..! सही कहाँ वही डायरी जिस डायरी के हर पन्ने पर तुम्हारा जिक्र होता था। अब तो उस डायरी में लिखना छोड दिया हैं मैनें।आखिर क्यु लिखुं मैं किसी के उन अधुरे वादो को जो कभी मुक्कमल नहीं हो सकते।फिर मेरी नजर बिस्तर पर गयी। हा..! वही बिस्तर जिस बिस्तर पर तुम मेरी बाहों में समा जाती थी। और चादर कि सरवटो को देखकर एक हलकी मुस्कान के साथ कहती थी। ये सरवटे तुम्हे मेरे होणे का एहसास दिलायेगी। तुमने सही कहा था। आज भी अगर बिस्तर पर सरवटे देखता हूँ तो सोचता हूँ तुम हि हो। फिर दिल को बहला लेता हूँ। पर अब मैं बिस्तर पर चादर कि सरवटे नहीं आने देता। क्युकि अब मुझे तुम्हारा एहसास नहीं चाहीये। अब फिर से एक बार मेरी बाहों में समा जानेवाली तुम चाहीये। तकिये पर आजकल अश्को के धब्बे लग गये हैं। जिसे मैं मोती कहता हूं। मोती.!ये तो बस दिल बहलाने के लिये दिया हुआ नाम हैं।कल रात मैनें चाँद को देखा था पर वो मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था। मानो कह रहा हो,'बोला था!चाँद मत बुलाओ उसे। चाँद को सिर्फ दूर से देख सकते हो,प्यार कर सकते हो।लेकिन चाँद को कभी अपनी बाहों में नहीं ले सकते। देखा मेरी तरह तुम भी अब तन्हा रह गये।' फिर भी मैं तुम्हे भूलना चाहता हूँ। पर.. अब सोच रहा हूँ ।नहीं! मैं क्यु भूल जाऊं तुम्हे।तुम तो वो हसीन ख्वाब हो जो मुकम्मल नहीं हो सकता पर इस ख्वाब से एक सुकून मिलता हैं। किसी मरिझ-ए-इश्क के दिल कि दवा बन जाता हैं। बस्स, अब तय हो गया नहीं भूलना तुम्हे।

-बुद्धभूषण जाधव

टिप्पण्या

टिप्पणी पोस्ट करा

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

माझा आवडता प्राणी - वाघ

मी नग्न पाहिलं तिला..

अर्थशून्य भासे मज हा कलह जीवनाचा..